यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 29
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन
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अगले दिन हम सुबह ही नासिक के लिए जाने का प्रोग्राम बना लिया और हम सब ट्रेन से नासिक के लिए चल दिए। नासिक पहुँचने के बाद हमने सबसे पहले हम त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिग के दर्शन करने हेतु गये।
यह ज्योर्तिलिंग मन्दिर महाराष्ट्र-प्रांत के नासिक जिले में त्रयंबक गांव में स्थित हैं। इसी लिए इसे त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। यहां के निकटवर्ती ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है। इन्हीं पुण्यतोया गोदावरी के उद्गम-स्थान के समीप स्थित त्रयम्बकेश्वर-भगवान की भी बड़ी महिमा हैं गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की और त्र्यम्बकेश्वर नाम से विख्यात हुए।
मंदिर के अंदर एक छोटे से गढ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिये चौड़ी-चौड़ी सात सौ सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद 'रामकुण्ड' और 'लष्मणकुण्ड' मिलते हैं और शिखर के ऊपर पहुँचने पर गोमुख से निकलती हुई भगवती गोदावरी के दर्शन होते हैं।
गाँव के अंदर कुछ दूर पैदल चलने के बाद मंदिर का मुख्य द्वार नजर आने लगता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद शिवलिंग की केवल आर्घा दिखाई देती है, लिंग नहीं। गौर से देखने पर अर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। इन लिंगों को त्रिदेव- ब्रह्मा-विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। भोर के समय होने वाली पूजा के बाद इस अर्घा पर चाँदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है।
यहाँ दर्शन करने के बाद हमने वहाँ के छोटे से बाजार से पूजा की सामिग्री भी खरीदी। उसके बाद हमने आगे जाने का प्रोग्राम बनाया।
आज के लिए बस इतना ही आगे का वर्णन अगले भाग में ।
यादौ के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "
Radhika
05-Mar-2023 08:02 PM
Nice
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shweta soni
03-Mar-2023 10:02 PM
👌👌👌
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अदिति झा
03-Mar-2023 02:27 PM
Nice
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